Shringar Ras (श्रंगार रस)


इसका स्थाई भाव रति होता है नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस कि अवस्था में पहुँच जाता है तो वह श्रंगार रस कहलाता है इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है


उदाहरण :

Shringar Ras ke Udaharan

दरद कि मारी वन-वन डोलू वैध मिला नाहि कोई
मीरा के प्रभु पीर मिटै, जब वैध संवलिया होई

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
जाके सिर मोर मुकुट मेरा पति सोई

बसों मेरे नैनन में नन्दलाल
मोर मुकुट मकराकृत कुंडल, अरुण तिलक दिये भाल

अरे बता दो मुझे कहाँ प्रवासी है मेरा
इसी बावले से मिलने को डाल रही है हूँ मैँ फेरा

कहत नटत रीझत खिझत, मिलत खिलत लजियात
भरे भौन में करत है, नैननु ही सौ बात

रस के भेद

रस नौ प्रकार के होते हैं परन्तु वात्सल्य एवं भक्ति को भी रस माना गया हैं :

1. Shringar Ras (श्रंगार रस)
2. Hasya Ras (हास्य रस)
3. Veer Ras (वीर रस)
4. Karun Ras (करुण रस)
5. Shant Ras (शांत रस)
6. Adbhut Ras (अदभुत रस)
7. Bhayanak Ras (भयानक रस)
8. Raudra Ras (रौद्र रस)
9. Vibhats Ras (वीभत्स रस)

10. Vatsalya Ras (वात्सल्य रस)
11. Bhakti Ras (भक्ति रस)

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Shringar Ras in Hindi

What is definition / paribhasha of Shringar Ras in hindi grammar? श्रंगार रस Kya Hai and Shringar Ras ke Udaharan, Sthayi Bhav with some examples.

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